Rajasthan Mein Oran Kya hai ओरण यानी भगवान की जमीन राजस्थान में ओरण का मतलब 10 से 1.25 लाख बीघा तक का छोटा जंगल होता है । सामान्यतः ओरण को देववन भी कहा जा सकता है । मारवाड़ में हर तीन गांव पर आज भी एक ओरण की मानता है । ओरण में ना तो पेड़ या डालियाँ काटी जा सकती है और ना ही पेड़ से गिरी लकड़ी को कोई जलाने के लिए उठा सकता है यहां तक कि ओरण के अंदर से गाय भैंस का गोबर भी नहीं उठाया जाता है ।

राजस्थान में ओरण
जैसलमेर के भादरिया माताजी में सबसे बड़ा 1.10 लाख बीघा का ओरण है । इसमें हर साल 40 हजार पौधे लगाए जाते हैं । इसमें ज्यादातर खेजड़ी, नीम, बोर व सेवन घास है । ओरण की जमीन के संरक्षण के लिए लिए ओरण विकास बोर्ड बनाने की आवश्यकता है ।
ओरण का महत्व
Rajasthan Mein Oran Kya hai ओरण का निर्माण व संरक्षण पूरा समुदाय अपने स्तर पर करता है । मेघालय में भी ऐसा कांसेप्ट है । जिसमें ग्रामीण जूते खोलकर अंदर प्रवेश करते हैं । राजस्थान के इतिहास में इनके संरक्षण के लिए कुर्बानियां देने तक की कहानी है । बिश्नोई समाज की इसमें बड़ी भूमिका रही है ।
मारवाड़ के 9053 गांव में 5 लाख बीघा भूमि पर 3017 ओरण है । ओरण बचाने के लिए वर्षों से कम कर रहे हैं । कई बार ओरण सरक्षण का मामला विधानसभा में उठाने वाले विधायक कहते है । की अंग्रेजी बाबुल से ओरण में स्थानीय वनस्पति और घास खत्म हो रही है ।
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