Rajasthan ka Ekikaran राजस्थान का एकीकरण

Rajasthan ka Ekikaran राजस्थान का एकीकरण राजस्थान का एकीकरण के लिए 5 जुलाई 1947 को रियासत सचिवालय की स्थापना की गई थी । Integration of Rajasthan इसके अध्यक्ष सरदार वल्लभभाई पटेल को बनाया गया तथा सचिव वी. पी. मेनन को बनाया गया । राजस्थान एकीकरण कुल 7 चरणों में संपन्न हुआ था ।

Rajasthan ka Ekikaran

राजस्थान के एकीकरण में रियासती सचिव द्वारा रियासतों के सामने स्वतंत्र रहने के लिए दो शर्त रखी प्रथम जनसंख्या 10 लाख से अधिक एवं दूसरी वार्षिक आय एक करोड़ से अधिक होनी चाहिए । राजस्थान एकीकरण की प्रक्रिया सन 1948 में आरंभ होकर सन 1956 तक चली । राजस्थान एकीकरण के समय राजपूताना में 19 रियासतें तथा 3 ठिकाने थे । 30 मार्च 1949 को राजस्थान का गठन किया गया ।

Rajasthan ka Ekikaran प्रथम चरण (मत्स्य संघ की स्थापना)

सर्वप्रथम 18 मार्च 1950 को अलवर भरतपुर धौलपुर तथा करौली रियासतों को मिलाकर मत्स्य संघ की स्थापना हुई । मत्स्य संघ के प्रधानमंत्री शोभाराम कुमावत को बनाया गया । मत्स्य संघ की राजधानी अलवर को तथा राजप्रमुख धौलपुर महाराजा श्री उदय भान सिंह को बनाया गया ।

Rajasthan ka Ekikaran द्वितीय चरण (राजस्थान संघ/पूर्व राजस्थान संघ)

राजस्थान एकीकरण के दूसरे चरण में 25 मार्च 1948 को कोटा, बूंदी, झालावाड़, किशनगढ़, प्रतापगढ़ डूंगरपुर बांसवाड़ा, टोक एवं शाहपुरा रियासतों को मिलाकर राजस्थान संघ का निर्माण किया गया । राजस्थान संघ की राजधानी कोटा को तथा राजप्रमुख महाराजा भीम सिंह को बनाया गया । विलय पत्र पर हस्ताक्षर करते समय बांसवाड़ा महारावल चंद्रवीर सिंह ने कहा कि “मैं अपने डेथ वारंट पर हस्ताक्षर कर रहा हूं” ।

Rajasthan ka Ekikaran तृतीय चरण (संयुक्त राजस्थान)

राजस्थान एकीकरण के तीसरे चरण में राजस्थान संघ के साथ उदयपुर रियासत को मिलाकर 18 अप्रैल 1948 को नया संयुक्त राजस्थान बनाया गया । जिसकी राजधानी उदयपुर तथा राजप्रमुख मेवाड़ महाराणा भूपाल सिंह को बनाया गया तथा कोटा के महाराव भीमसिंह को उपराजप्रमुख बनाया गया । संयुक्त राजस्थान के प्रधानमंत्री माणिक्य लाल वर्मा को बनाया गया । राजस्थान के तीसरे चरण का उद्घाटन 18 अप्रैल 1948 को उदयपुर में भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने किया ।

Rajasthan ka Ekikaran चतुर्थ चरण (वृहद राजस्थान)

राजस्थान एकीकरण में चौथे चरण में 14 जनवरी 1949 को उदयपुर में सरदार वल्लभभाई पटेल ने जयपुर, बीकानेर, जोधपुर, लावा और जैसलमेर रियासत की वृहद राजस्थान में सम्मिलित होने की घोषणा की । वृहद राजस्थान का उद्घाटन सरदार वल्लभभाई पटेल किया । वृहद राजस्थान की राजधानी जयपुर तथा उदयपुर के महाराणा भोपाल सिंह को महाराज प्रमुख, जयपुर के महाराजा मानसिंह को राजप्रमुख तथा कोटा के महाराजा भीम सिंह को उप राज्य प्रमुख एवं हीरालाल शास्त्री को प्रधानमंत्री बनाया गया । 30 मार्च को वृहद राजस्थान के अस्तित्व में आने के बाद इस दिन को राजस्थान दिवस घोषित किया गया ।

Rajasthan ka Ekikaran पंचम चरण (संयुक्त वृहद राजस्थान)

शंकरराव देव समिति की सिफारिश पर 15 मई 1949 को मत्स्य संघ को वृहद राजस्थान में विलय कर । संयुक्त वृहद राजस्थान का निर्माण किया गया । संयुक्त वृहद राजस्थान में नीमराना को भी शामिल कर लिया गया ।

Rajasthan ka Ekikaran षष्टम चरण (वर्तमान राजस्थान)

राजस्थान एकीकरण की छठे चरण में राजस्थान में वृहद राजस्थान, सिरोही व आबू देलवाड़ा को शामिल कर । 26 जनवरी 1950 को संयुक्त विशाल राजस्थान में विलय कर इसका नाम राजस्थान कर दिया गया । 26 जनवरी 1950 को राजस्थान को ‘B’ या ‘ख’ श्रेणी का राज्य बनाया गया ।

Rajasthan ka Ekikaran सप्तम चरण (राजस्थान पुनर्गठन)

राज्य पुनर्गठन आयोग 1955 की सिफारिशों के आधार पर 1 नवंबर 1956 को राज्य पुनर्गठन अधिनियम लागू हो जाने से अजमेर-मेरवाड़ा, आबू तहसील को राजस्थान में मिलाया गया । मध्यप्रदेश में शामिल हो चुके सुनेल टप्पा क्षेत्र को राजस्थान के झालावाड़ जिले में मिलाया गया और झालावाड़ जिले का सिरनौज को मध्यप्रदेश को दे दिया गया ।

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