Rajasthan ki Pramukh Bavdiya राजस्थान की प्रमुख बावड़ियां राजस्थान में प्राचीन समय में पीने के पानी के लिए अनेक बावड़ियों का निर्माण किया गया। Rajasthan ki Bavdiya, Rajasthan ke prasiddh bavdiya राजस्थान में प्राचीन समय में सिंचाई एवं पीने के पानी की उपलब्धता के लिए बावड़ियों का निर्माण किया गया था । इस कारण राजस्थान में अनेक बावड़ियों स्थित है । इस पोस्ट को अंत तक पढ़ कर आप राजस्थान में स्थित प्रमुख बावड़ियों के बारे में जा सकते हैं ।
Rajasthan ki Pramukh Bavdiya चांद बावड़ी, आभानेरी
इस बावड़ी का निर्माण चंदा या चंद्रा ने 8वीं से 9वीं शताब्दी में करवाया था । 13 मंजिल की चांद बावड़ी के अंदर 3,500 सीढ़ियां हैं । चांद बावड़ी में नीचे की दो ताखों में गणेश एवं महिषासुरमर्दिनी की भव्य प्रतिमाएं है, जो इसकी खूबसूरती में चार चांद लगाती है । चांद बावड़ी का आकार चौकोर है । यह बावड़ी हर ओर से 35 मीटर लंबी है । इस बावड़ी के नीचे एक लंबी सुरंग है, जो भांडारेज स्थित बड़ी बावड़ी से होती हुई आलूदा गांव के कुंड कुबाणा तक जाती है ।
रानी जी की बावड़ी बूंदी
बूंदी में तकरीबन 71 छोटी-बड़ी बावड़ियां है । बूंदी को बावड़ियों का शहर भी कहा जाता है । रानी जी की बावड़ी का निर्माण राजा अनिरुद्ध सिंह की रानी राजमाता नाथावती ने 1699 ईस्वी में अपने पुत्र बुध सिंह के शासनकाल में करवाया था । बूंदी की सुंदरतम रानी जी की बावड़ी की गणना एशिया की सर्वश्रेष्ठ बावड़ियों में की जाती है । इस कलात्मक बावड़ी में प्रवेश के लिए तीन दरवाजे हैं । रानी जी की बावड़ी की गहराई लगभग 46 मीटर है ।
नीमराना की बावड़ी
नीमराना की बावड़ी का निर्माण 18वीं सदी में राजा टोडरमल ने नीमराना, अलवर में करवाया था । यह बावड़ी नौ मंजिला है । इसकी लंबाई 250 फीट व चौड़ाई 80 फीट है । मध्यकालीन इंजनीयरिंग का अद्भुत नमूना यह है की इस नौ मंजिला नीमराना बावड़ी के निचले भाग में तापमान 19 डिग्री कम हो जाता है ।
हाड़ी रानी की बावड़ी, टोडारायसिंह
Rajasthan ki Pramukh Bavdiya हाड़ी रानी बावड़ी का निर्माण बूंदी की राजकुमारी हाड़ी रानी ने लगभग 16 वीं शताब्दी में करवाया था । जिनका विवाह सोलंकी शासक से हुआ था ।
भांडारेज की बावड़ी
भांडारेज दौसा में स्थित यह बावड़ी राजस्थान की प्राचीन शिल्पकला का सुंदर उदाहरण है । भांडारेज की बावड़ी को बड़ी बावड़ी भी कहते है । यह बावड़ी तीन मंजिला एतिहासिक बावड़ी है । यह बावड़ी अपनी कलात्मक छतरियों, मेहराबों और नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है ।
ओसियां बावड़ी, जोधपुर
ओसियां बावड़ी के एक तरफ मंदिरों का समूह तथा दूसरी तरफ रेगिस्तान है । ओसियां बावड़ी जोधपुर से 65 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है । उसियां में मां सच्चीयाय का भव्य मंदिर है । वर्तमान में ओसियां में 18 स्मारक एवं दो बावड़ी स्थित है ।
मेड़तनी की बावड़ी, झझुनूं
मेड़तनी की बावड़ी झुंझुनूं में स्थित है । मेड़तनी की बावड़ी का निर्माण शार्दूल सिंह झुंझुनूं के मरणोपरांत उनकी पत्नी बख्त कंवर ने अपने पति की याद कायम रखने के लिए पीपल चौक तथा मनसा देवी के बीच करवाया था ।
अन्य बावड़ियां
- पन्ना मीना की बावड़ी, आमेर
- भीकाजी की बावड़ी, अजमेर
- बाटाडू की कुआं बावड़ी, बाड़मेर
- दूध बावड़ी, माउंट आबू
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राजस्थान में बावड़ियों का शहर किसे कहते है ?
राजस्थान में बावड़ियों का शहर बूंदी को कहते है ।
चांद बावड़ी का निर्माण किसने करवाया था ?
चांद बावड़ी का निर्माण चंदा या चंद्रा ने 8वीं से 9वीं शताब्दी में करवाया था ।
राजस्थान के बूंदी जिले में स्थित रानी जी की बावड़ी का निर्माण किस रानी ने करवाया था ?
रानी जी की बावड़ी का निर्माण राजा अनिरुद्ध सिंह की रानी राजमाता नाथावती ने 1699 ईस्वी में अपने पुत्र बुध सिंह के शासनकाल में करवाया था ।
घोसुण्डी बावड़ी का निर्माण किसने करवाया था ?
घोसुण्डी बावड़ी का निर्माण मेवाड़ महारणा रायमल की पत्नी श्रंगार देवी ने घोसुण्डी नामक गांव चित्तौड़गढ़ में करवाया ।
नौलखा बावड़ी का निर्माण किसने करवाया ?
नौलखा बावड़ी का निर्माण महाराजा आसकरण की रानी प्रीमलदे द्वारा करवाया गया था ।
बावड़ियों में सीढ़िया क्यों बनाई जाती थी ?
बावड़ियों में सीढ़िया पानी तक पहुचने के लिए बनाई जाती थी ताकि सीढ़ियों के माध्यम से पानी तक पहुच कर पीने के लिए पानी लाया जा सके ।