Khadin Jaisalmer Rajasthan खड़ीन से खेती जैसलमेर राजस्थान में होती है खड़ीन राजस्थान में जल संरक्षण की सबसे बहुउद्देशीय तरीका है । खड़ीन से खेती पहली बार 15वीं शताब्दी में जैसलमेर जिले में विकसित किया गया था । नमी को जमीन में संरक्षित कर उस पर खेती करने की व्यवस्था खड़ीन खेती परंपरा है । पूरे देश में यह परंपरा सिर्फ जैसलमेर, राजस्थान में है । हालांकि अब नमी को संरक्षित कर खेती करने के प्रयास अन्य जगहों पर भी चल रहे हैं, लेकिन पारंपरिक रूप से यह खेती जैसलमेर में होती है ।
Khadin Jaisalmer Rajasthan खड़ीन खेती प्रणाली
जैसलमेर में आम तौर पर बारिश बहुत कम होती थी । जिसके चलते यहां के लोगों ने अपने गांव में एक जगह पर बरसाती पानी का संग्रहण करते और उसके बाद उस पर खेती की जाती । यहां से होने वाले खेती पर पूरा गांव निर्भर रहता था । नहरी पानी आने, बारिश बढ़ने व अन्य वर्षा खेती भी होने की बावजूद यहां के लोगों ने खड़ीन की खेती को बंद नहीं किया है । कृषि विज्ञान केंद्र ने भी खड़ीन को लेकर प्रोजेक्ट तैयार किया है ।
Khadin Jaisalmer Rajasthan News
Khadin Jaisalmer Rajasthan जैसलमेर में किसी जमाने में 20 के करीब खड़ीन थे । इन खड़ीनों में गेहूं व चने की फसल बोई जाती है । खड़ीन 100 बीघा से लेकर 500 बीघा तक के हैं । बरसाती सीजन में खड़ीन में पानी संग्रहण होता है । उसके बाद पानी सूखने का इंतजार किया जाता है । आम तौर पर नवरात्रि पर पानी सूख जाता है । इस दौरान खड़ीन में गेहूं व चने के बीज बोए जाते हैं ।
Khadin Jaisalmer Rajasthan इस प्रकार होती है खड़ीन से खेती
जानकारी के अनुसार खड़ीन में कहीं दिनों तक पानी भरा रहता है, जिससे उसमें नमी जमीन में ही संरक्षित रहती है । खड़ीनों को इस तरह से डिजाइन किया जाए है जिसके चलते बरसात का पानी उनमें स्वतः ही भर जाता है । जमीन में नमी होने के बाद उसमें बुवाई करके छोड़ दिया जाता है । किसी भी तरह के कीटनाशक आदि की जरूरत नहीं पड़ती है । हालांकि कभी कभार कीट या लट लगने की आशंका रहती है ।
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